लकड़ी माफियाओं द्वारा काटे जा रहे हरे पेड़, पुलिस और वन विभाग अनजान

(प्रेम कुमार शाक्य)

जसवन्तनगर/इटावा। शासन के निर्देश पर प्रशासन की ओर से पर्यावरण संरक्षण को पौधारोपण करा रहा है। समाजसेवी संस्थाएं भी लोगों को जागरूक कर रही हैं। इसके बावजूद लकड़ी माफिया नहीं मान रहे हैं। पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत से लगातार हरे पेड़ों का कटान हो रहा है। जब मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच जाता है तो थोड़ा-बहुत जुर्माना लगाकर मामला रफादफा कर दिया जाता है।

बलरई थाना क्षेत्र में यमुना नदी की तलहटी में बसे दो दर्जन गांवों में लकड़ी माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं लकड़ी माफियाओं द्वारा हरे पेडों को काटे जाने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से इनके हौसले बुलंद हैं। पुलिस शिकायतकर्ता को ही हड़काती है। जिससे अब कोई शिकायत भी नहीं करता। शासन लाखों रुपये खर्च कर पेड़ लगवा रहा है तथा अन्य लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। क्षेत्रीय पुलिस व वन विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत पेड़ों का कटान हो रहा है।लकड़ी माफियाओं द्वारा छूट प्रजाति की लकड़ी के बीच में कीमती लकड़ी को छुपा कर और उसके ऊपर त्रिपाल से ढककर ले जाते हुए अलख सुबह 2 बजे से 5बजे के मध्य क्षेत्र की किसी भी सड़क पर गाड़ियों को फर्राटा भरते हुए देखा जा सकता है।

वन विभाग के फॉरेस्ट सेक्शन ऑफिसर अजीत पाल सिंह ने बताया कि कहीं से कोई शिकायत मिलती है तो तत्काल मौके पर कर्मचारियों को भेजा जाता है और पेड़ काटे जाने वाले लोगों से जुर्माना वसूल कर मुकदमा दर्ज किया जाता है।

वहीं लकड़ी ठेकेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले पुलिस को हिस्सा पहुंचा देते हैं। उसके बाद ही कटान शुरू करते हैं। वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी भी खर्चा लेते हैं। जब मामला बड़े अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच जाता है तो मामूली जुर्माना लगा दिया जाता है।

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