शिक्षक ऐसा व्यक्तित्व है, जो राष्ट्र के नौनिहालों को शिक्षित संस्कारवान बनाता है

विजयेन्द्र तिमोरी 

भरथना,इटावा। शिक्षक एक ऐसा व्यक्तित्व है, जो राष्ट्र के नौनिहालों को संस्कारवान शिक्षा की ओर अग्रसर करता है और यही दीपक रूपी छात्र-छात्रायें अपने अलौकिक प्रकाश से सम्पूर्ण जगत को जगमग करके अपने परिवार,गुरूजनों सहित क्षेत्र को गौरवान्वित करते हैं। शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों ने शिक्षा जगत में अपने-अपने विचार रखे।

कन्या प्रा.वि. पुराना भरथना में प्र.अ. सन्तोष कुमारी का कहना है कि बच्चों में अनुशासित व संस्कारित शिक्षा का समावेश कराना ही हमारा मूल उद्देश्य है। शिक्षक होना मेरे लिए केवल जीविकोपार्जन का साधन ही नहीं,अपितु गौरवान्वित विषय है कि हमें नौनिहालों को शिक्षित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। विद्यालय व बच्चों के प्रति मैं व मेरा पूरा विद्यालय परिवार छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए समय-समय पर अभिभावक-शिक्षक गोष्ठी, महापुरूषों की जयन्ती व पुण्यतिथि,विभिन्न दिवसों, राष्ट्रीय पर्वों पर सांस्कृतिक, सामाजिक मंचन आदि सभी गतिविधियां एक सकारात्मक मुहिम के साथ करवाते हैं।

उ.प्रा.वि. कन्धेसी पचार में स.अ. सपना यादव का कहना है कि प्रायः आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे ही परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत रहते हैं। हमारी प्राथमिकता रहती है कि विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ऐसी संस्कारित,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करायें,कि वे स्वतः ही अन्य बच्चों को हमारे विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रेरित करें। शिक्षण कार्य के साथ-साथ अन्य प्रकार की प्रतिभाओं मेंहदी, चित्रकला,रंगोली,खेलकूद, शैक्षिक भ्रमण,दैनिक जीवन की क्रियाकलाप,सामाजिक तौर तरीके में बच्चे अग्रणी रहें,इसके लिए सदैव प्रयासरत रहती हूँ।

होली प्वाइण्ट एकेडमी शिक्षक अमित श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षक दिवस की सार्थकता तभी है,जब शिक्षक व छात्र दोनों एक-दूसरे के प्रति सम्मान व अपने-अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाहन करें। क्योंकि जब शिक्षक-छात्र दोनों ही सजग होगें,तभी समाज को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडना सम्भव हो सकेगा।

उ.प्रा.वि.नगला गुदे के इं.प्र.अ.दीपक यादव विक्की ने कहा कि आज आधुनिकता के इस युग में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक संसाधनों की बहुतायत है। ऐसे में शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने छात्र को सकारात्मकता की ओर उन्मुख करे और छात्र भी शिक्षक के बताये गये सदमार्ग पर चलकर उच्च शिखर को स्पर्श करने के लिए संकल्पबद्ध रहे।

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