सेना-आर्मी शब्दों के अंधाधुंध अनुचित प्रयोग से समाजसेवी खफा

इटावा। देशभर में कई संगठनों और संस्थाओं के नामों में ‘सेना’ और ‘आर्मी’ शब्दों के अंधाधुंध और अनुचित प्रयोग को लेकर समाजसेवी प्रेम कुमार शाक्य ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
श्री शाक्य ने पत्र में कहा कि यह शब्द केवल भारतीय सेना और संबंधित सरकारी संस्थाओं के लिए ही आरक्षित होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण के रूप में कई संगठनों के नाम दिए, जिनमें भीम आर्मी,भीम सेना,बौद्ध आर्मी,बौद्ध सेना,हिंदू सेना,हिंदू आर्मी, शिव सेना,गोरखा आर्मी, गोरखा सेना,सिख आर्मी, सिख सेना,दलित आर्मी, दलित सेना,अली सेना, अली आर्मी,मुस्लिम आर्मी, मुस्लिम सेना,राजपूत आर्मी,राजपूत सेना,करणी सेना,यादव सेना,किसान आर्मी,किसान सेना,किसान एकता आर्मी,किसान एकता सेना आदि शामिल हैं। इस तरह के अनुचित प्रयोग से भारतीय सेना की गरिमा, प्रतिष्ठा और सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और आम नागरिकों व युवाओं के मन में भ्रम और गलत धारणा उत्पन्न होती है।
पत्र में समाजसेवी ने मांग की है कि देशभर में नए संस्थानों और संगठनों के पंजीकरण में ‘सेना’ और ‘आर्मी’ शब्द के उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए। पहले से पंजीकृत ऐसे संगठनों की समीक्षा और निरस्तीकरण की कार्यवाही हो। संबंधित सरकारी विभागों और पंजीकरण प्राधिकरणों को स्पष्ट निर्देश ताकि भविष्य में इस प्रकार के अनुचित प्रयोग की पुनरावृत्ति न हो।
समाजसेवी प्रेम कुमार शाक्य ने कहा कि यह कदम भारतीय सेना के सम्मान की रक्षा और सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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