पचदेवरा में श्रीमद् भागवत कथा का चतुर्थ दिवस में भक्त प्रहलाद की कथा सुनकर श्रोता हुए भाव विभोर

(डॉ. सुशील सम्राट)

इकदिल।ग्राम पचदेवरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। कथा वाचक आचार्य वेदनारायण दीक्षित के श्रीमुख से प्रवाहित भक्ति और ज्ञान की गंगा ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। आज के प्रवचनों में प्रह्लाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन तथा बलि-वामन चरित्र पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। कथावाचक ने भक्त प्रह्लाद की अटूट भक्ति और उनके पिता हिरण्यकशिपु के अहंकार के विषय में बताते हुए कहा कि जब एक सच्चा भक्त प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण करता है, तो स्वयं नारायण उसकी रक्षा करते हैं। हिरण्यकशिपु के अत्याचारों के बावजूद प्रह्लाद अपनी भक्ति से विचलित नहीं हुए, और अंततः भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर अधर्म का अंत किया। इसके बाद गजेंद्र मोक्ष की कथा का वर्णन किया गया, जिसमें हाथी गजेंद्र के अहंकार और फिर उसकी प्रभु भक्ति का उल्लेख किया गया।

आचार्य जी ने बताया कि संकट के समय जब गजेंद्र ने अपनी शक्ति से संघर्ष किया, तो वह असफल रहा, लेकिन जैसे ही उसने भगवान को पुकारा, श्रीहरि तुरंत उसकी रक्षा के लिए प्रकट हुए। यह कथा समर्पण और श्रद्धा के महत्व को दर्शाती है। अंत में, बलि-वामन चरित्र की व्याख्या करते हुए बताया गया कि असुरराज बलि ने अपने गुरु के आदेश पर भगवान वामन को तीन पग भूमि का दान दे दिया। कथा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान का स्मरण किया और धर्म, भक्ति एवं समर्पण के महत्व को आत्मसात किया। ग्रामवासियों में कथा को लेकर विशेष उत्साह है, और आगामी दिनों में और अधिक भक्तों के आगमन की संभावना जताई जा रही है। इस अवसर प्रमोद तिवारी, सर्वेश तिवारी, कुशल तिवारी, चक्रेश, राघवेंद्र,आशीष, अमित , बी.के. दुबे, उमेश चंद्र मिश्रा आदि उपस्थित रहे ।

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