भागवत महापुराण में आचार्य अमरनाथ दीक्षित ने धर्म और धर्म का किया विश्लेषण

इटावा। शहर के स्थानीय कटरा शाह मोहम्मद (इस्लामिया इंटर कॉलेज के सामने वाली गली) में दिवंगत अधिवक्ता राजेश कुमार वर्मा की स्मृति में भागवत महापुराण एवं देवी भागवत के संयुक्त अद्भुत अनुष्ठान में नेमिषारण्य तीर्थ सीतापुर से पधारे रामायण रत्न आचार्य अमरनाथ दीक्षित ने महाभारत के विभिन्न प्रसंगों पर व्याख्यान देते हुए धर्म और अधर्म का विश्लेषण किया और उन्होंने महाभारत में श्री कृष्ण के वैभव पूर्ण निर्णायक योगदान की चर्चा की उन्होंने कहा कि न्याय सत्य और नैतिक मूल्य मानव जीवन के उद्धार के साधन हैं। उन्होंने महाभारत के बाद वाणों की सैया पर उत्तरायण की प्रतीक्षा कर रहे हैं भीष्म पितामह द्वारा पांडवों को दिए गए धर्म उपदेश का आध्यात्मिक विश्लेषण किया।
कथा रसिक हरिदास विनोद कुमार द्विवेदी के अनुसार कथा वाचक आचार्य अमरनाथ दीक्षित ने सूर्यवंश के राजाओं का वर्णन करते हुए कपिल मुनि के शाप से राजा सगर के 60000 पुत्रों के भाषण होने और फिर उनके उद्धार के लिए भागीरथ द्वारा गंगा के पृथ्वी पर आने का कथानक प्रस्तुत किया उन्होंने कहा कि गंगा सप्तमी पर गंगा मैया भोलेनाथ की जटाओं में आ गई और वही चक्कर लगाने लगी और 33 दिन बाद गंगा दशहरा पर भोलेनाथ ने दिखाएं खोल ली और सुरसरि गंगा पृथ्वी पर आ गई और तब से निरंतर पाप मोचनी ब्रह्म द्रव के रूप में प्रवाहित हैं। आचार्य श्री दीक्षित ने सूर्यवंशी अन्य राजाओं का वर्णन करते हुए दिलीप की गौ सेवा रघु अज और दशरथ के चरित्र का बखान करते हुए राम अवतार का प्रसंग तथा संक्षिप्त में राम कथा प्रस्तुत की। कथा परीक्षित श्रीमती कुसुम वर्मा एवं श्रीमती रेखा वर्मा आदि ने श्रद्धालु श्रोताओं के साथ आरती की और प्रसाद वितरण किया।

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