भरथना,इटावा। भरथना तहसील क्षेत्रभर के लोग आवारा कुत्तों व बंदरों के आतंक के साए में जीने को मजबूर बने हुए हैं। कुत्तों ने जहां लोगों का सड़कों से निकलना मुश्किल कर दिया है। वहीं बंदरों के डर से लोगों ने छत पर जाना और भीषण गर्मी लगने पर भी छतों पर सोना छोड़ दिया है। इस विकराल समस्या को लेकर वन विभाग समेत स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। आवारा कुत्तों और बंदरों के घातक हमलों से अब तक नगर क्षेत्र के हजारों लोग अब तक जख्मी हो चुके हैं।
भरथना नगर हो या गांव क्षेत्र हर जगह आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक तेजी से बढ़ रहा है। नगला जयलाल निवासी सचिन यादव पिंटू ने बताया कि गांव में घर के आस-पास पूरे दिन बंदरों का झुंड ग्रामीणों को परेशान किए रहता है। कुत्तों को जब खाने को कुछ नहीं मिलता तो वे घरेलू जानवरों पर और बाहरी लोगों पर एकाएक हमला कर देते हैं वहीं जब बंदरों को गांव में खुला पड़ा अनाज आदि कुछ खाने को नहीं मिलता तो वे छोटे छोटे बच्चों से खाने का सामान झपट्टा मार कर छीन लेजाते है और यदि बच्चों से कुछ नहीं मिला तो वे खेत खलिहान और घरों में लगे नए पौधों को उखाड़ फेंक देते हैं। बन्दर गुस्से में घरों के कपड़े उठाकर ले जाते हैं और फाड़ देते हैं और यदि ग्रामीण कपड़ा छुड़ा ने का प्रयास करते हैं तो बन्दर खतरनाक घुड़की के साथ हमला कर लोगों को जख्मी कर देते हैं।
त्रिलोकपुरा निवासी अंजली ने बताया कि पहले गांव में कभी कभार एक या दो बंदर आ जाते थे। लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि ग्रामीणों को पूरी साल बंदरों के आतंक के साए में जीना पड़ रहा है। भरथना कस्बा के मोहल्ला जवाहर रोड, श्रीनगर,स्टेशन रोड, अनवरगंज,सराय,सिन्धी कॉलोनी,बृजराज नगर, पुराना भरथना,महावीर नगर,आजाद रोड,विशम्भर कॉलोनी,गिरधारीपुरा, मोतीगंज,बाजपेई नगर, यादव नगर सहित अधिकांश सभी मोहल्लों में बंदरों के साथ आवारा कुत्तों का आतंक है। पिछले दो वर्षों में बंदरों के कई झुडो ने भरथना रेलवे स्टेशन पर अपना कब्जा जमा रखा है जब बंदरों के झुंडो में आपसी विवाद हो जाता है तो यात्रियों समेत आस पास के लोगों को इलाका छोड़कर स्टेशन से जान बचा कर भागने पर मजबूर होना पड़ता है।
भरथना क्षेत्र में व्याप्त इस खतरनाक समस्या को लेकर वन विभाग सहित स्थानीय प्रशासन मौन बना हुआ है।
क्षेत्रवासियों की मानें तो आम लोगों को रात्रि के समय आवारा कुत्तों से बच सड़क और गलियों से होकर गुजरना मुश्किल बना हुआ है वहीं खूंखार बंदरों के बीच खाने-पीने का सामान लेकर निकल पाना दुश्वार बना हुआ है,बंदर तो लोगो से घुड़की दिखाकर हाथों से जरूरी और कीमती सामान तक छीन ले जाते हैं। कई बार बंदरों के झपट्टा मारने से तमाम महिला पुरुष बच्चे चुटहिल हो चुके हैं। यही हाल भरथना पालिका कार्यालय परिसर का बना हुआ है यहां पहुंचने वाले फरियादी और कर्मचारियों को बंदर अकारण दौड़ा लेते हैं। उधर शाम होते ही आवारा कुत्तों का आतंक शुरू हो जाता है।
नगर के बृजराज नगर, बीआरसी,फूलमती मंदिर व होमगंज सहित कई स्थानों पर रात के समय निकालना खतरे से खाली नहीं है। कुत्ते पीछे से दौड़ा लेते हैं।
नगर में कुत्तों-बंदरों के आतंक और उनके हमले का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन भरथना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 30 से 50 व्यक्ति बंदर व कुत्ते के हमले से घायल मरीज वैक्सीन लगवाने और पट्टी कराने पहुंचते हैं।
बोले लोग
नगर में बंदर और कुत्तों ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। पॉलिथीन बगैरह में कोई चीज लाना मुश्किल है। बंदर सिर्फ कपड़े वगैरा उठा ले जाते थे। अब वह हमलावर होने लगे हैं। चूक होते ही हमला बोल देते हैं। और घायल कर देते हैं। प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। मनोज यादव बंटी
गांव पहले बंदरों से मुक्त थे,अब बंदरों ने गांव में डेरा जमा रखा है। बच्चों का घर से बाहर निकलना मुश्किल है। बच्चों को भी झपट्टा मार कर चुटहिल कर देते हैं। गांव में भी शहरों की तरह बंदरों की समस्या बढ़ गई है। — अंजली
बंदर और कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते धीरे-धीरे समस्या बढ़ती जा रही है। बंदरों के झुंड घर के बाहर व छतों पर घूमते रहते हैं और काटने के लिए भी दौड़ते हैं जिसके कारण हमेशा डर लगा रहता है। कुछ स्थानों पर वाहन से निकलने के समय कुत्ते अधिक हमलावर हो जाते हैं। — पूजा तोमर
दुकान बंद करके शाम को घर जाते समय रास्ते में कुत्ते दौड़ाने लगते हैं। दूध की थैली वगैरह ले जाना काफी मुश्किल रहता है। बाइक सवार तो कई बार अनियंत्रित होकर गिर जाते हैं। रात को सड़कों से निकलना खतरे से खाली नहीं रहता है। — नितिन पोरवाल