जिला अस्पताल स्थित भोजन कैंटीन के खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा भरे गए सैंपल

इटावा। प्रदेश सरकार की मंशा एवं जिलाधिकारी के आदेशों के अनुरूप में आज खाद विभाग की टीम इटावा में स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संयुक्त चिकित्सालय पहुंच गई जहां पर स्थित कैंटीन द्वारा जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। प्रदेश सरकार की मंशा मंशा के अनुरूप चाहे सरकारी स्कूल हो या सरकारी अस्पताल बच्चों को दिया जाने वाला भोजन एवं मरीज को दिए जाने वाला भोजन गुणवत्ता पूर्ण होना चाहिए इसी को लेकर आज खाद विभाग की टीम जिला अस्पताल स्थित कैंटीन पहुंच गई और वहां पर पहुंचकर खाद विभाग की जांच कमेटी द्वारा जिला अस्पताल की महिला कैंटीन में बने हुए भोजन का नमूना जांच के लिए भर लिया गया। जबकि पुरुष कैंटीन के संचालक आदित्य कुमार जांच टीम को आता देख अपनी कैंटीन में ताला लगाकर नदारद हो गये। डॉ भीमराव अंबेडकर संयुक्त जिला अस्पताल में दो कैंटीन संचालक है आदित्य कुमार एवं प्रीति दुबे। आदित्य कुमार संयुक्त चिकित्सालय के पुरुष चिकित्सालय में भोजन का वितरण करवाते हैं एवं प्रीति दुबे महिला चिकित्सालय में भोजन का वितरण करवाती हैं। सर्वप्रथम जब जिला अस्पताल स्थित कैंटीन में खाद विभाग की टीम पहुंच गई तो कैंटीन संचालक प्रीति दुबे खाद्य विभाग की टीम को अपना खाद्य लाइसेंस भी नहीं दिखा सकी, इसके बाद खाद्य विभाग की टीम ने जिला अस्पताल की महिला कैंटीन से दो आटे की एक रोटी का एक अरहर की दाल का और एक पत्ता गोभी की सब्जी का नमूना लिया है, खाद्य विभाग द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर खाद्य सुरक्षा आयुक्त सतीश कुमार शुक्ला ने बताया है कि हमारी टीम द्वारा जिला अस्पताल में पांच नमूनो को एकत्र किया गया है जिनको जांच के लिए भेज दिया जाएगा और जांच रिपोर्ट आने पर अगर कोई नमूना फेल होता है तो कैंटीन संचालकों के विरुद्ध कार्यवाही भी की जाएगी। इसी के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने बताया कि जब कैंटीन संचालकों से फूड लाइसेंस मांगा गया तो उनके द्वारा अभी तक फूड लाइसेंस नहीं दिखाया गया है जिससे प्रथम दृष्टया लग रहा है कि उनके पास फूड लाइसेंस नहीं है और अगर इनके पास खाद्य का लाइसेंस नहीं होगा इसके उपरांत उनके विरुद्ध कार्यवाही भी की जाएगी। इटावा जनपद में खाद्य विभाग द्वारा वैसे तो बड़ी सक्रियता के साथ नमूनो को भरा जाता है लेकिन इसके बाद उनकी जांच महीनो तक लटकी रहती है अब सोचने की बात यह है कि नमूने भरने में इतनी तेजी विभाग द्वारा दिखाई जाती है फिर जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही क्यों नहीं की जाती।

 

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