देश की सांस्कृतिक, साहित्यिक और संवैधानिक मूल्यों को बचाने का संघ करेगा प्रयास

भरथना,इटावा। जनवादी लेखक संघ एक ऐसा संगठन है,जो हमारे देश की साहित्यिक,सांस्कृतिक और संवैधानिक मूल्यों को न सिर्फ बचाने वरन उन्हें मजबूत करने वाले साहित्यकारों को एक बैनर के नीचे लाता है।

यह बात जनवादी लेखक संघ इटावा के चतुर्थ जिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ आलोचक और जलेस के प्रदेश सचिव प्रोफेसर नलिन रंजन सिंह ने कही। स्थानीय अबध गार्डन के हॉल में जिले भर से आये कवियों लेखकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा आज इतिहास पुराण और मिथक को गड्डमड्ड किया जा रहा है,शासन की सह पर हमारी भाईचारे की संस्कृति पर हमले किये जा रहे हैं। न्यायापालिका और चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं शक के घेरे में आ रहीं हैं। धर्म को श्रद्धा के बजाय हमलावर का रूप दिया जा रहा है। इस माहौल में हम कवियों लेखकों की जिम्मेदारी पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रो.सिंह ने इटावा के साहित्यिक-सांस्कृतिक मूल्यों का जिक्र करते हुए इन्हें लगातार मजबूत बनाने की अपील की। जलेस इटावा के सचिव अनिल दीक्षित ने पिछले सम्मेलन के बाद की रिपोर्ट रखते हुए इटावा में जनवादी लेखन की ऐतिहासिकता का जिक्र करते हुए कहा कि जिले की संस्कृति हीन सद्भाव और भाईचारा मजबूत करने की है। बहस के बाद नयी कमेटी का चुनाव हुआ जिसमें सर्वसम्मति से अरविन्द योगी अध्यक्ष,हरि ओम विमल उपाध्यक्ष,बलवीर सिंह पाल सचिव,डाक्टर मंजू मृदुल संयुक्त सचिव एवं अनिल दीक्षित को कोषाध्यक्ष चुना गया। बाद में एक कवि एक कविता नाम से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विजय सिंह पाल, अशोक यादव,हरि ओम विमल,शिव अवतार पाल, श्रीराम राही,अमित कुमार अमित,मंजू मृदुल,अरविन्द योदी,प्रमोद तिवारी हंस, नवम विश्नोई,निर्झर यादव ने रचना पाठ किया। सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ट कवि विजय सिंह पाल ने तथा संचालन जनवादी कवि अनिल दीक्षित ने की।

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