भरथना,इटावा। भरथना में एक जोड़े ने कुछ ऐसा किया जिससे वाकई उनकी शादी एक अनोखी शादी बन गई है। इस जोड़े ने अपनी शादी के दिन ही देहदान का अनूठा संकल्प लिया। इस जोड़े ने अपनी शादी में देहदान-अंगदान को आठवें वचन के रूप में स्वीकार करके विवाह को यादगार बना दिया। दोनों ने मंडप में ही अंगदान-देहदान का फार्म भरा।
यह अनोखी पहल खानपुरा पोस्ट कुसना निवासी रामपाल सिंह के पुत्र अतुल यादव के कहने पर हुआ। अतुल ने बताया कि वे सैफई पीजीआई में कार्यरत हैं वहीं से उन्हें राजेश कुमार बस्नेत ने युग दधीचि देहदान के बारे में बताया जिसे विगत इक्कीस वर्षों से कानपुर निवासी मनोज सेंगर एवं माधवी सेंगर संचालित कर रहे हैं। जिससे वह प्रभावित हुए। दूल्हे अतुल यादव का कहना है कि उनका मकसद सिर्फ इतना है कि शरीर का अंग खराब होने की वजह से किसी की मौत न हो। यदि लोग देहदान-अंगदान करेंगे तो कइयों की जान बचाई जा सकती है।
अतुल कि शादी नोगवां, निवाडीकला महेवा निवासी दिनेश सिंह कि बेटी लवी से तय हुई है। शादी से पहले ही अतुल ने लवी से बातचीत करके शादी में आठवें वचन के रूप में अंगदान देहदान को स्वीकार करना तय किया। उनके फैसले से दोनों के परिवार वाले काफी खुश हुए और तैयार हो गए।
वहीं इस जोड़े ने अनूठा विवाह कर समाज को आईना दिखाते हुए मिसाल पेश की है जिसकी आज पूरे इलाके में चर्चा हो रही है। शादी में शामिल होने आए बारातियों ने बताया कि दुनिया में बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो जिंदा रहते हुए इतना बड़ा कदम उठा पाते हैं। हम इन दोनों को इसके लिए बधाई देते हैं, जिन्होंने शादी की इस शुभ घड़ी वाले दिन ही अपना शरीर समाज के अच्छे कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। शादी तय होने के बाद दोनों ने निर्णय लिया था कि अपनी शादी के दिन ही दोनों देह दान की घोषणा करेंगे।
लिहाजा शादी के दिन रविवार को भरथना के खानपुरा पोस्ट कुसना निवासी दुल्हा अतुल यादव बारातियों और बैंडबाजे के साथ महेवा के निवाड़ी कला एक निजी गेस्ट हाउस पहुंचे जिसमें मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों को भी न्यौता दिया गया। सैफई से आए एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ नित्यानंद और सभी की मौजूदगी में नवविवाहित जोड़े ने देह दान के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा कर अपनी घोषणा को कानूनी रूप दे दिया।
क्या है युग दधीचि देहदान अभियान
जे.के कॉलोनी जाजमऊ कानपुर निवासी मनोज सेंगर एवम माधवी सेंगर ने वर्ष 2003 में तत्कालीन राज्यपाल महोदय उत्तर प्रदेश आचार्य विष्णुकांत शास्त्री जी के आग्रह पर देहदान अभियान प्रारंभ किया था। जो आज प्रदेश व्यापी हो गया है। अभियान के अंतर्गत चार हजार से अधिक लोग देहदान संकल्प ले चुके हैं। साथ ही प्रदेश के दर्जनों राजकीय मेडिकल कॉलेजों को अब तक 298 मृत शरीर शोध हेतु दान किए जा चुके हैं।