इटावा। सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उ.प्र. के पदों को मृत घोषित करने के किसान विरोधी एवं कर्मचारी विरोधी शासनादेश को समाप्त करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री एंव सिंचाई मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को प्रेषित ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सिंचाई विभाग के रीढ़ अतिमहत्वपूर्ण पद जैसे उपराजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी, हेड मुंशी पदों की संख्या में कटौती तथा नलकूप चालक, सीचपाल के साथ मिस्त्री कम ड्राइवर, व अन्य आवश्यक पदों को समाप्त किये जाने के शासनादेश से कार्मिक समुदाय में अत्यन्त असंतोष व्याप्त है। इसके विरोध में विभाग के समस्त मान्यता प्राप्त संगठनों की बैठक में सर्वसम्मति से सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति का गठन किया गया। इसके साथ ही काला फीता धारण कर प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया, इसके उपरान्त प्रदेश के समस्त कार्यलयों में भोजनावकाश के दौरान गेट मीटिंग के माध्यम से न्याय प्राप्त करने का प्रयास किया गया। सकारात्मक कार्यवाही न होने के कारण प्रदेश के समस्त संवगों के कर्मचारियों आक्रोश व्याप्त है। उक्त पदों को अनुपयोगी मानने से विभाग में नहरों, लघुडाल नहरों एवं राजकीय नलकूपों के संचालन, रख-रखाव एवं विभागीय परिसंपत्तियों की सुरक्षा में भारी कठिनाई होना स्वाभाविक है। यह कार्मिक ग्राम स्तर पर रहकर किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने में महती भूमिका का निर्वहन पूर्ण निष्ठा से करते हैं। इनकी अनुपस्थिति में पूरी व्यवस्था धरासायी होना सुनिश्चित है। मुख्यमंत्री का प्रदेश के चतुर्मुखी विकास, युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराये जाने हेतु समस्त्त्त रिक्त पदों को भरे जाने एवं आवश्यक नये पदों का सृजन कर उ.प्र. के किसानों को उत्कृष्ट सिंचाई उपलब्ध कराने के दृढ़ संकल्प पर कुठाराघात के समान है। अगर शासन एवं विभाग द्वारा संज्ञान नही लिया जा रहा है। इन परिस्थितियों में कर्मचारी के समक्ष “करो या मरो” की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। ज्ञापन देने वालों में उमेश चन्द्र, आशाराम, मनीष चतुर्वेदी, हकेश कटियार आदि प्रमुख हैं।
सिंचाई विभाग द्वारा महत्वपूर्ण पदों को समाप्त करने पर कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
