एसएसपी के सुपुत्र यश श्रीवास्तव ने लीला का लिया आनंद
जसवंतनगर,इटावा।
जसवंतनगर में विश्व की सुप्रसिद्ध प्रथम मैदानी रामलीला में यहां रविवार को वालि वध,रावण हनुमान संवाद,अक्षय कुमार वध,लंका दहन की लोमहर्षक मनभावन मैदानी लीलाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया जिसको देखकर बड़ी तादात में उपस्थित दर्शक मुग्ध हुए।
रविवार को शुरू हुई लीलाओं में दर्शकों ने लंका दहन की लीला को देखकर जय हनुमान के नारों के साथ पूरे मैदान को गुंजायमान कर दिया। लंका जारि असुर संघारे,सिया राम जी के काज संवारे।हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग, सारी लंका जल गई गए निशाचर भाग।रामलीला में राम भक्त हनुमानजी महाराज ने विभीषण की कुटिया को छोडकर रावण की संपूर्ण सोने की लंका का धूं -धूं कर जला दिया।इसके पूर्व लीला में वालि वध हुआ। सुग्रीव के राज्याभिषेक के बाद माता-सीता की खोज आरंभ हुई।रामादल के वयोवृद्ध जामवंतजी ने हनुमानजी को समुद्र के किनारे उनकी शक्ति का एहसास करवाया। तब जय श्रीराम के उदघोष के साथ श्रीराम के दुलारे हनुमानजी समुद्र पार कर सुरसा लंकिनी को मारते हुए लंका पहुंचे। विभीषण से मुलाकात की।अशोक वाटिका पहुंचकर हनुमान ने माता सीता से मुलाकात की।भूख लगने पर माता सीता की आज्ञा से अशोक वाटिका के कंद फलादि ग्रहण किए। वाटिका के रक्षकों के हस्तक्षेप पर संपूर्ण वाटिका को उजाडा व रोकने आए असुरों को मारा। शत्रु की शक्ति का अंदाजा लगाने के लिए रावण ने अपनी पराक्रमी पुत्र को भेजो। मैदान में चले भयंकर युद्ध में पवन पुत्र हनुमान ने अक्षय कुमार का वध किया।फिर मेघनाथ ने वाटिका पहुंचकर ब्रम्हास्त्र के माध्यम से हनुमानजी को बंदी बनाकर रावण के दरबार मे पेश किया।
कह लंकेस कवन तैं कीसा,केहि कें बल घालेहि बन खीसा
की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही,देखउँ अति असंक सठ तोही
लंकापति रावण ने कहा- रे वानर! तू कौन है? किसके बल पर तूने वन को उजाड़कर नष्ट कर डाला? क्या तूने कभी मुझे (मेरा नाम और यश) कानों से नहीं सुना? रे शठ! मैं तुझे अत्यंत निःशंख देख रहा हूँ।
हनुमान जी अपना परिचय देते हुए कहते हैं कि जिनके लेश मात्र बल से तुमने समस्त चराचर जगत को जीत लिया और जिनकी प्रिय पत्नी को तुम हर लाए हो,मैं उन्हीं का दूत हूं।रावण मैं विनती करता हूं तुम अभिमान छोड़ दो।अपने कुल का विचार करो,जानकी माता को दे दो प्रभु श्री राम के चरण कमल को हृदय में धारण करो।यह सुन रावण क्रोधित हो जाता है और कहता है कि यह वानर बड़ा ज्ञानी गुरु मिला है इसकी मृत्यु निश्चित है।अपने अधीनस्थों को आदेशित करता है कि वानर की पूंछ में आग लगा दी जाए।आग लगी पूछ से पवन पुत्र हनुमान लंका को जलाकर राख कर देते हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव के सुपुत्र यश श्रीवास्तव ने भी विश्व प्रसिद्ध मैदान की रामलीला में पहुंचकर लीलाओं का आनंद लिया।
लीला को कुशल संपन्न कराने में समिति प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू, उपप्रबंधक ठा.अजेंद्र सिंह गौर राजीव माथुर रतन पांडे निखिल गुप्ता प्रभाकर दुबे,प्रशांत यादव,विशाल गुप्ता तरुण मिश्रा आदि का योगदान रहा।पुलिस व्यवस्था मुस्तैद रही।
