शरद पूर्णिमा पर श्री राधाबल्लभ लाल जी का हुआ धबल श्रंगार

इटावा। पुराना शहर छैराहा स्थित नगर का वृंदावन धाम श्री राधावल्लभ मंदिर पर शरद पूर्णिमा का पावन पर्व मंगलवार को श्रद्धाभाव के साथ परंपरागत ढंग से मनाया गया। यहां पर ठाकुर जी का धवल श्रंगार किया गया। वही ठाकुर जी को शरद बिहार भी कराया गया। मंदिर में भजन-कीर्तन की धूम रही और सभी भक्तों को बासौधी का प्रसाद वितरित किया गया ।
श्री राधा वल्लभ मंदिर पर ब्रज की परंपरा के अनुसार सभी कार्यक्रम आयोजित होते हैं। शरद पूर्णिमा के मौके पर ठाकुर जी के चरण सेबक गोपाल प्रकाश चंद्र गोस्वामी ने ठाकुर जी का विशेष पूजन अर्चन कर धबल श्रंगार किया। देर शाम भगवान की आरती उतारी गई। महिलाओं के द्वारा भजन कीर्तन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे। मंदिर आने वाले सभी भक्तों को बासौंधी का विशेष प्रसाद भी दिया गया।
शरद पूर्णिमा के पर्व पर ठाकुर जी ने जहां शरद बिहार किया था वही महारास भी रचाया था। इसलिए मंदिर परिसर में एक बड़ा शीशा लगाकर ठाकुर जी को शरद बिहार भी कराया गया। गोपाल प्रकाश चन्द्र गोस्वामी ने शरद पूर्णिमा का महत्व बताया और कहा कि आश्विन शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा को ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास करके समस्त प्राणियों को आध्यात्मिकता का संदेश दिया था। तभी से यह महोत्सव के रूप में मनाए जाने लगा। उन्होने कहा शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है, जिसे अमृत काल कहा जाता है। इस रात महालक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि भगवान श्रीकृष्‍ण इस रात हर गोपी के लिए कृष्‍ण बने थे। पूरी रात नृत्य किया, जिसे महारास के नाम से जाना जाता है। साथ ही वृंदावन के जंगलों की बीच हो रहे इस महारास में भगवान कृष्ण ने कामदेव की सुदंरता का घमंड भी तोड़ा था। जिस दिन यमुना के तट पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था। कहा जाता है कि आज भी निधिवन में वह रहस्यात्मक लीला शरद पूर्णिमा को संपन्न होती है।

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