इटावा। जनपद इटावा में सोमवार को वाल्मीकि जयंती और लोक-प्रिय टेसू विवाह के उपलक्ष्य में बाल्मीकि समाज और हेला समाज द्वारा एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा शहर के गाड़ीपुरा से शुरू हुई और पूरे शहर में भ्रमण करते हुए आस्था, परंपरा और सामाजिक संदेश का प्रदर्शन किया।
परंपरा और शिक्षा का संगम
शोभायात्रा में विभिन्न देवी-देवताओं की आकर्षक झाँकियों को प्रदर्शित किया गया। इन झाँकियों के बीच, शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष झाँकी भी शामिल की गई, जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के साथ एक अध्यापक बच्चों को शिक्षा देते हुए नज़र आ रहे थे।
कार्यक्रम संयोजक ऋषभ हेला ने बताया कि यह यात्रा उनके पूर्वजों द्वारा निकाली जाने वाली एक पुरानी परंपरा है, जिसे आज भी समाज के लोग निरंतर जारी रखे हुए हैं।
टेसू-झेंझी विवाह की शुभ परंपरा
शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण टेसू की बरात थी। लोक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, टेसू का संबंध महाभारत के वीर बर्बरीक (खाटू श्याम) से जोड़ा जाता है।

पं. दिनेश कुमार शास्त्री (विवाह पंडित) ने बताया कि सनातन हिंदू रीति-रिवाज में टेसू-झेंझी का विवाह अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन के बाद से साल में विवाह के शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं।
इटावा में बच्चे गली-गली और मोहल्ले-मोहल्ले में एकत्रित होकर टेसू विवाह के लिए चंदा (रुपये) इकट्ठा करते हैं। यह खेल टेसू-झेंझी से संबंधित गीत गाकर खेला जाता है। एकत्रित धन से अंत में पूर्णिमा के दिन टेसू-झेंझी का विवाह पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न कराया जाता है।

कार्यक्रम आयोजक और राष्ट्रीय अध्यक्ष (जनता समाजवादी पार्टी) विवेक हेला ने बताया कि इस तरह के आयोजन सामाजिक एकजुटता को मजबूत करते हैं और हमारी प्राचीन परंपराओं को जीवित रखते हैं।

