इटावा। ऊर्जा निगमों में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं पर निजीकरण हेतु की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में बिजली कर्मियों ने आज प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र एवं राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीयिनर्स संगठन, उप्र के केन्द्रीय पदाधिकारियों के नेतृत्व में विद्युत कर्मियों ने पूर्व नोटिस के अनुसार ऊर्जा मंत्री श्री अरविन्द कुमार शर्मा के निवास पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र एवं राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनिसर्य संगठन, उप्र के शीर्ष पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्व नोटिस के अनुसार उत्पीड़न और निजीकरण के विरोध में राजधानी लखनऊ के बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता मध्याह्न 12 बजे ऊर्जा मंत्री श्री अरविन्द कुमार शर्मा के कालिदास मार्ग स्थित आवास पर पहुंच गये। ऊर्जा मंत्री ने बिजली कर्मियों के शीर्ष पदाधिकारियों से मिलने से मना कर दिया। इसके बाद बिजली कर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा और बिजली कर्मियों ने उत्पीड़न वासप लेने तथा निजीकरण निरस्त करने के नारे लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी देर में काफी पुलिस बल ऊर्जा मंत्री के आवास पर आ गया किन्तु बिजली कर्मी बिना उत्तेजित हुए शान्तिपूर्ण ढंग से अपना विरोध दर्ज करते रहे।
बिजली कर्मियों की मुख्य मांग यह थी कि ऊर्जा मंत्री ने 03 दिसम्बर 2022 और 19 मार्च 2023 को संघर्ष समिति के संयोजक सहित सभी शीर्ष पदाधिकारियों के साथ लिखित समझौता किया था। ऊर्जा मंत्री इस समझौते से मुकर गये हैं। समझौते के अनुसार मार्च 2023 की हड़ताल के दौरान की गयी उत्पीड़न की कार्यवाही आज तक वापस नहीं ली गयी है। इसके विपरीत निजीकरण हेतु लगातार उत्पीड़न की कार्यवाहियां की जा रही हैं जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है।
बिजली कर्मियों का कहना था कि ऊर्जा मंत्री ने 03 दिसम्बर 2022 और 19 मार्च 2023 को संघर्ष समिति और जूनियर इंजीनियर्स संगठन के जिन पदाधिकारियों के साथ लिखित समझौता किया है, ऊर्जा मंत्री से वही पदाधिकारी मिलकर यह समझने आये हैं कि समझौते के अनुपालन में उत्पीड़न की कार्यवाहियां वापस लेने के बजाय लगातार उत्पीड़न की और कार्यवाहियां क्यों की जा रही हैं? ऊर्जा मंत्री संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से इस सम्बन्ध में वार्ता के लिए तैयार नहीं थे। इसके विरोध में बिजली कर्मियों ने मध्याह्न 12 बजे से सायं 4 बजे तक ऊर्जा मंत्री के निवास पर शान्तिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया।
संघर्ष समिति की मांग है कि दिसम्बर 2022 में किये गये समझौते का पालन किया जाये, मार्च 2023 के समझौते के अनुपालन में उत्पीड़न की की गयी समस्त कार्यवाहियां वापस ली जायें, अत्यन्त अल्प वेतन भोगी निकाले गये संविदा कर्मचारियों को बहाल किया जाये, उत्पीड़न की दृष्टि से बड़े पैमाने पर किये गये बिजली कर्मियों के स्थानान्तरण निरस्त किये जायें, बिजली कर्मियों के शीर्ष पदाधिकारियों पर दमन की दृष्टि से बैठाई गयी स्टेट विजिलेंस की जांच और की गयी एफआईआर वापस ली जाये, फेसियल अटेंडेंस के नाम पर बिजली कर्मियों का रोका गया वेतन जारी किया जाये, बिजली कर्मियों की रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने हेतु स्मार्ट मीटर लगाने की कार्यवाही तत्काल बन्द की जाये और प्रदेश के व्यापक हित में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त किया जाये।
आज ऊर्जा मंत्री के निवास पर प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे, वरिष्ठ पदाधिकारी जितेन्द्र सिंह गुर्जर, जूनियर इंजीनियर्स संगठन के अध्यक्ष अजय कुमार, संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी महेन्द्र राय, पी के दीक्षित, सुहेल आबिद, श्रीचन्द, दीपक चक्रवर्ती, सरजू त्रिवेदी, आशीष त्रिपाठी, राम सहारे वर्मा, के एस रावत, आर सी पाल, सुमित श्रीवास्तव एवं जूनियर इंजीनियर्स संगठन लेसा ट्रांस के अध्यक्ष चन्द्रशेखर व सचिव संतोष कुमार विश्वकर्मा ने मुख्यतया किया। चार घण्टे चले विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों कर्मचारी मौजूद रहे।
बिजली के निजीकरण एवं उत्पीड़न के विरोध में आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में जोरदार विरोध प्रदर्शन किये गये।